Monday 29 January 2018

पीपुल्ज़ मीडिया की विशेष बैठक 30 जनवरी को लुधियाना में

मीडिया की मौजूदा स्थिति और समस्याओं पर होगा विशेष विचार 
लुधियाना29 जनवरी 2018: (जन मीडिया मंच)::
मीडिया में निरंतर सख्त मेहनत करने के बावजूद मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा शोषण का शिकार है। डयूटी के समय और वेतन को लेकर इन पत्रकारों से अन्याय निरंतर जारी है। उनके लिए आवाज़ उठाना भी आसान नहीं क्यूंकि बड़े बड़े पत्रकार संगठन उनको शर्तों पर अपना सदस्य बनाते हैं और अन्य ट्रेड यूनियन उनकी समस्यायों को उठाने में सरगर्मी नहीं दिखा सकीं। इसी बीच कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जिनमें समझौते की राह पकड़ने को मजबूर होना पड़ा। 
इस नाज़ुक हालात ने बहुत से सवाल खड़े किये हैं। आखिर क्या किया जाये? इस पर आपके सुझाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस स्थिति को ले कर 
"पीपुल्ज़ मीडिया लिंक" की एक आवश्यक बैठक 30 जनवरी 2018 दिन मंगलवार को सुबह 10:45 पर भाई बाला चौंक, लुधियाना पर स्थित शहीद करतार सिंह सराभा पार्क में होगी। इस अवसर पर जन अधिकारों और जन समस्यायों के साथ एकजुटता दर्शाने के साथ साथ मीडिया जगत की मौजूदा स्थितियों पर भी चर्चा होगी और इस के लिए आवश्यक संघर्ष की रणनीति पर भी विचार होगा।  
                                                                          ---सम्पर्क: रेक्टर कथूरिया (9915322407) 

Monday 8 January 2018

जन मीडिया मंच ने भी की रचना खैरा पर FIR की सख्त निंदा

इस FIR से सिस्टम के नापाक इरादे फिर बेनकाब हुए हैं 
लुधियाना: 7 जनवरी 2017: (जन मीडिया मंच)::
टविटर पर रचना खैरा का टवीट 
खोखला और जन विरोधी सिस्टम बेनक़ाब होता जा रहा है और सिस्टम को चलाने वाले बेशर्म तानाशाह  बनते जा रहे हैं। द ट्रिब्यून की पत्रकार रचना खेहरा के खिलाफ FIR ने एक बार फिर यही साबित किया है। "जन मीडिया मंच" इस FIR की सख्त निंदा करता है और इसके खिलाफ संघर्ष में एकजुट हुए संगठनों के साथ है। गौरतलब है कि UIDAI के डिप्टी डायरेक्टर ने ट्रिब्यून और उसकी रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। रचना का कसूर बस इतना ही कि उसने अपनी एक रिपोर्ट में इस जन विरोधी और भ्रष्ट सिस्टम को बेनकाब किया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक गिरोह लोगों के आधार से जुड़ी हर निजी जानकारी मात्र 500/- रुपए में लोगों को मुहैया करवाता है। आधार और इसकी गोपनीयता पर दमगजे मारने वाले सिस्टम को हकीकत का इस तरह बाहर आना गवारा नहीं हुआ। लोगों की निजी ज़िंदगी के व्यक्तिगत स्टाईल को  तमाशा बना देने वाला यह सिस्टम अब पत्रकार रचना खैरा को कहर भरी नज़रों से देख रहा है। 

एक प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक के मुताबिक इस FIR में अनिल कुमार, सुनील कुमार और राज का नाम भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि खैरा ने ट्रिब्यून के लिए रिपोर्ट तैयार करते हुए इन्हीं लोगों से संपर्क किया था। 
इसी बीच क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने एक ऍंग्रेज़ी दैनिक को बताया कि इस मामले में FIR दर्ज कर ली गई है और शुरुआती जांच भी शुरू हो गई है। यह FIR क्राइम ब्रांच की साइबर सेल द्धारा IPC की धारा 419, 420, 468 और 471 साथ ही IT एक्ट की धारा 66 और आधार एक्ट की धारा 36/37 के अंतर्गत FIR दर्ज की गई है। बड़े बड़े मामलों में कई कई वर्षों तक हरकत में न आने वाला सिस्टम इस मुद्दे पर बहुत तेज़ी से हरकत मैं आया है। यह पोल खुलने की बौखलाहट ही कही जा सकती है।मौजूदा सिस्टम को हिला देने वाली इस रिपोर्ट ने इस सिस्टम का बहुत कुछ बेनकाब जो कर दिया है। 
गौरतलब है कि इससे पहले UIDAI ने इस प्रकार की किसी भी जानकारी के लीक होने की खबरों को खारिज किया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब यह चौथी बार है जब UIDAI ने इस प्रकार की कार्रवाई की है। सबसे पहले समीर कोचर, देबयान रॉय (सीएनएन-न्यूज़18) और सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी पर भी UIDAI FIR करवा चुका है। जन मीडिया से जुडी हर बात इस सिस्टम को नागवार लगती है। 


आखिर ट्रिब्यून का कसूर क्या है? क्या किया है रचना खैरा ने? क्या था ट्रिब्यून की इस खबर में? कुछ संक्षिप्त सी चर्चा करते हैं इस रिपोर्ट की। द ट्रिब्यून की खबर में कहा गया था कि अगर आपको आधार डेटा चाहिए तो बस पेटीएम के माध्यम से 500/- रुपए देना होगा और 10 मिनट के अंदर आपको सारी जानकारी मिल जाएगी। इस खोजपूर्ण खबर के मुताबिक, एक ऐसा रैकेट है जो कि गेटवे नाम के माध्यम से आपको लॉग इन और पासवर्ड देग। इसके बाद आप किसी का भी आधार नंबर उसमें डालिए आपको उस नंबर पर उपलब्ध सारी जानकारियां मिल जाएगी। पिन कोड से लेकर मोबाइल नंबर और आपकी मेल आईडी तक। इसके बदले में आपको इसकी कीमत चुकानी होगी सिर्फ 500 रुपए।  इस तरह 500/- रुपयों के एक नॉट के बदले में कितने लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराई जा चुकी होगी इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। देश की सुरक्षा से जुड़े लोगों की जानकारी में कितने लोग सेंध लगा चुके होंगें इसका अनुमान भी कठिन होगा। 
रिपोर्ट बताते है कि यह रैकेट इतना संगठित तरीके से काम करता है कि आपको ये सिर्फ जानकारी ही नहीं देंगे बल्कि अगर आप किसी का भी आधार प्रिंट कराकर रखना चाहते हैं तो उसकी भी व्यवस्था कर रखी है इन लोगों ने। इस मकसद के लिए आपको 300/- और रुपए देने होंगे जिससे इस रैकेट के लोग आपको एक ऐसा सॉफ्टवेयर मुहैया कराएंगे जिसके जरिए आप आधार का प्रिंट भी निकाल सकते हैं। इन बातों से ये तो साफ हो गया होगा कि आपका आधार कितना सुरक्षित है।  डिजिटल इण्डिया और जो ग्रीन के बहाने से तरह तरह के तजुर्बे करने वाला यह सिस्टम किस तरह आपकी ज़िंदगी में तांकझांक करके खलल दाल सकता है शायद अभी इसका अनुमान न लगाया जा सके। 

Saturday 6 January 2018

लुधियाना में धरना प्रदर्शनों पर लगाई रोक के खिलाफ़ भारी रोष

Sat, Jan 6, 2018 at 4:55 PM
जनवादी जनसंगठनों ने की विशेष बैठक 
रोक तुरन्त वापिस न लेने पर तीखे संघर्ष का ऐलान


लुधियाना: 6 जनवरी, 2018: (जन मीडिया मंच ब्यूरो)::
लोगों के अधिकारपूर्ण संघर्षों को कुचलने की साजिश तहत पुलिस कमिश्नरेट, लुधियाना के एरिया में डी.सी. लुधियाना के आदेशों पर पुलिस कमिश्नर लुधायना द्वारा धारा 144 लगाकर धरना-प्रदर्शनों पर रोक लगाने के खिलाफ़ जिले के बड़ी संख्या इंसाफपसंद जनवादी-जनसंगठनों ने आज मीटिंग करके सख्त निन्दा करते हुए इन आदेशों को वापिस लेने की माँग की है। संगठनों ने फैसला किया है कि 9 जनवरी को डी.सी. लुधियाना को संगठनों का प्रतिनिधि मण्डल मिलकर अपना पक्ष रखेगा और इन आदेशों को वापिस लेने की माँग करेगा। अगर ये आदेश वापिस न हुए तो इस खिलाफ़ तीखा संघर्ष करने का ऐलान भी किया गया। आज की यह बैठक बीबी अमर कौर यादगारी हाल में हुई जिसका संचालन शहीद भगत सिंह जी के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह करते हैं। 
संगठनों का कहना है कि धरना-प्रदर्शनों के लिए सिर्फ एक स्थान तय कर देना किसी भी प्रकार जायज नहीं है बल्कि इसके पीछे जनआवाज़ कुचलने की हाकिमों की साजिश है। हालांकि यह रोक सरकारी कामकाज बेरोक चलाने, लोगों की सहूलत, अमन-कानून की विवस्था बनाए रखने के बहाने लगाई गई है। लेकिन वास्तविक निशाना अधिकार माँग रहे लोग हैं। संगठनों का कहना है कि यह रोक किसी भी प्रकार मानने योग्य नहीं है। धारा 144 लगाना संगठित होने, संघर्ष करने के बुनियादी जनवादी अधिकार पर हमला है। संगठनों का कहना है कि ऐसे आदेशों से जनसंघर्ष रुकने नहीं वाले बल्कि और तीखे ही होंगे। केन्द्रीय और राज्य स्तरों पर हुक्मरानों द्वारा धड़ा-धड़ काले कानून बनाए जा रहे हैं। पंजाब में भी जनसंघर्षों को दबाने की साजिश तले पंजाब सार्वजनिक व निजी जायदाद नुकसान रोकथाम कानून लागू कर दिया गया है और गुण्डागर्दी रोकने के बहाने नया काला कानून पकोका बी बनाने की तैयारी है। डिप्टी कमिश्नर और पुलिस कमिश्रर लुधियाना द्वारा जारी हुए हुक्म भी इसी दमनकारी प्रक्रिया का अंग हैं। 

संगठनों का कहना है कि अपनी समस्याएँ हल न होने पर लोगों को मज़बूरीवश विभिन्न सरकारी अधिकारियों के दफतरों, संसद-विधानसभा मैंम्बर, मेयर, काऊँसलर, थाना, चौंकी, सड़कों आदि पर प्रदर्शन करने पड़ते हैं। हकों के लिए इक्कठे होना और आवाज़ बुलन्द करना लोगों का जनवादी ही नहीं बल्कि संविधानिक हक भी है। भारतीय संविधान की धारा 19 के तहत लोगों को अपने विचारों और हकों के लिए संगठित होने वा संघर्ष करने की आज़ादी है। यह हुक्म लोगों के संवेधानिक व जनवादी अधिकार का हनन है।
आज की मीटिंग में जमहूरी अधिकार सभा के प्रो. जगमोहन सिंह, कारखाना मज़दूर यूनियन के लखविन्दर, पंजाब खेत मज़दूर सभा के गुलजार सिंह गोरिया, तर्कशील सोसाइटी के जसवंत जीरख, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान के सुरिन्दर सिंह, इंकलाबी केन्द पंजाब के कंवलजीत खन्ना, सी.आई.टी.यू. के जगदीश चन्द, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के का. जोहरी, टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन के राजविन्दर, आर.पी.एफ. के अवतार सिंह विर्क, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के सुखदेव भूँदड़ी, कामागाटा मारू यादगारी कमेटी के जागर सिंह बद्दोवाल, जे.सी.टी.यू. के चमकौर सिंह, एटक के गुरनाम सिद्धु, मेडीकल प्रेक्टीशनर ऐसोसिएशन के सुरजीत सिंह, नौजवान भारत सभा की बिन्नी, आजाद निर्माण मज़दूर यूनियन के हरी सिंह साहनी, पीपलज मीडिया के रेक्टर कथूरिया, पंजाब सक्रीन की कार्तिका आदि शामिल थे।