Saturday 6 January 2018

लुधियाना में धरना प्रदर्शनों पर लगाई रोक के खिलाफ़ भारी रोष

Sat, Jan 6, 2018 at 4:55 PM
जनवादी जनसंगठनों ने की विशेष बैठक 
रोक तुरन्त वापिस न लेने पर तीखे संघर्ष का ऐलान


लुधियाना: 6 जनवरी, 2018: (जन मीडिया मंच ब्यूरो)::
लोगों के अधिकारपूर्ण संघर्षों को कुचलने की साजिश तहत पुलिस कमिश्नरेट, लुधियाना के एरिया में डी.सी. लुधियाना के आदेशों पर पुलिस कमिश्नर लुधायना द्वारा धारा 144 लगाकर धरना-प्रदर्शनों पर रोक लगाने के खिलाफ़ जिले के बड़ी संख्या इंसाफपसंद जनवादी-जनसंगठनों ने आज मीटिंग करके सख्त निन्दा करते हुए इन आदेशों को वापिस लेने की माँग की है। संगठनों ने फैसला किया है कि 9 जनवरी को डी.सी. लुधियाना को संगठनों का प्रतिनिधि मण्डल मिलकर अपना पक्ष रखेगा और इन आदेशों को वापिस लेने की माँग करेगा। अगर ये आदेश वापिस न हुए तो इस खिलाफ़ तीखा संघर्ष करने का ऐलान भी किया गया। आज की यह बैठक बीबी अमर कौर यादगारी हाल में हुई जिसका संचालन शहीद भगत सिंह जी के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह करते हैं। 
संगठनों का कहना है कि धरना-प्रदर्शनों के लिए सिर्फ एक स्थान तय कर देना किसी भी प्रकार जायज नहीं है बल्कि इसके पीछे जनआवाज़ कुचलने की हाकिमों की साजिश है। हालांकि यह रोक सरकारी कामकाज बेरोक चलाने, लोगों की सहूलत, अमन-कानून की विवस्था बनाए रखने के बहाने लगाई गई है। लेकिन वास्तविक निशाना अधिकार माँग रहे लोग हैं। संगठनों का कहना है कि यह रोक किसी भी प्रकार मानने योग्य नहीं है। धारा 144 लगाना संगठित होने, संघर्ष करने के बुनियादी जनवादी अधिकार पर हमला है। संगठनों का कहना है कि ऐसे आदेशों से जनसंघर्ष रुकने नहीं वाले बल्कि और तीखे ही होंगे। केन्द्रीय और राज्य स्तरों पर हुक्मरानों द्वारा धड़ा-धड़ काले कानून बनाए जा रहे हैं। पंजाब में भी जनसंघर्षों को दबाने की साजिश तले पंजाब सार्वजनिक व निजी जायदाद नुकसान रोकथाम कानून लागू कर दिया गया है और गुण्डागर्दी रोकने के बहाने नया काला कानून पकोका बी बनाने की तैयारी है। डिप्टी कमिश्नर और पुलिस कमिश्रर लुधियाना द्वारा जारी हुए हुक्म भी इसी दमनकारी प्रक्रिया का अंग हैं। 

संगठनों का कहना है कि अपनी समस्याएँ हल न होने पर लोगों को मज़बूरीवश विभिन्न सरकारी अधिकारियों के दफतरों, संसद-विधानसभा मैंम्बर, मेयर, काऊँसलर, थाना, चौंकी, सड़कों आदि पर प्रदर्शन करने पड़ते हैं। हकों के लिए इक्कठे होना और आवाज़ बुलन्द करना लोगों का जनवादी ही नहीं बल्कि संविधानिक हक भी है। भारतीय संविधान की धारा 19 के तहत लोगों को अपने विचारों और हकों के लिए संगठित होने वा संघर्ष करने की आज़ादी है। यह हुक्म लोगों के संवेधानिक व जनवादी अधिकार का हनन है।
आज की मीटिंग में जमहूरी अधिकार सभा के प्रो. जगमोहन सिंह, कारखाना मज़दूर यूनियन के लखविन्दर, पंजाब खेत मज़दूर सभा के गुलजार सिंह गोरिया, तर्कशील सोसाइटी के जसवंत जीरख, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान के सुरिन्दर सिंह, इंकलाबी केन्द पंजाब के कंवलजीत खन्ना, सी.आई.टी.यू. के जगदीश चन्द, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के का. जोहरी, टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन के राजविन्दर, आर.पी.एफ. के अवतार सिंह विर्क, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के सुखदेव भूँदड़ी, कामागाटा मारू यादगारी कमेटी के जागर सिंह बद्दोवाल, जे.सी.टी.यू. के चमकौर सिंह, एटक के गुरनाम सिद्धु, मेडीकल प्रेक्टीशनर ऐसोसिएशन के सुरजीत सिंह, नौजवान भारत सभा की बिन्नी, आजाद निर्माण मज़दूर यूनियन के हरी सिंह साहनी, पीपलज मीडिया के रेक्टर कथूरिया, पंजाब सक्रीन की कार्तिका आदि शामिल थे। 

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