Saturday 3 October 2015

श्री मुक्तसर साहिब में धान की खरीद शुरू

डीसी ने कहा किसान फसल सुखा कर लाएं 
श्री मुक्तसर साहिब: 2 अक्टूबर 2015: (अनिल पनसेजा//पंजाब स्क्रीन):
श्री मुक्तसर साहिब की दाना मंडी में धान की खरीद श्री मुक्तसर साहिब के डिप्टी कमिश्नर जसकिरन  सिंह ने की। उनके साथ जिला फ़ूड सप्लाई, मार्कफेड के उच्च अधिकारी और मार्किट कमेटी के अधिकारी भी मौजूद थे।
पूरे भारत में धान की फसल पक्क कर मंडियों में पहुँच चुकी है। हर जगह के किसान अपनी फसल को लेकर मंडियो में आते हैं। हर किसान चाहता है कि उनकी फसल का अच्छा भाव मिले और उनकी फसल जल्दी ही बिक जाये और किसान जल्दी घर वापस जाये ता कि अगली फसल को बोने तियारी करे।  उसे जियादा दिन मंडी न बैठना पड़े इस लिए सरकार की तरफ से धान की फसल की खरीद एक अक्टूबर से शुरू करवा दी गयी है जिसके चलते आज श्री मुक्तसर साहिब की दाना मंडी में भी श्री मुक्त्सर साहिब के डिप्टी कमिश्नर स. जसकरण सिंह ने अपने साथ फ़ूड सप्लाई ,मार्क फेड और मंडी बोर्ड के अधिकारिओ को लेकर धान की फसल की खरीद शुरू करवाई उन्हों ने पात्र करो से बातचीत करते हुए बताया के इस बार किसानो को किसी भी किस्म की परेशानी का सहमना नही करना पड़ेगा फसल की जल्स तुलाई होगी और जल्द ही मॉल की लिफ्टिंग की जाएगी और किसान के पैसे की भी जल्द अदैगी की जाये गी इस के लिए सभी पर्बंध कर लिए गई है ........मगर हम किसानो से अपील करते है के धान की फसल को सुखा के मंडी में लाये और रात के समय धान न काटे ता के धान में नमी कम हो और उन्हें फसल बेचने में कोई दिकत न आये ........
दूसरी तरफ किसानो से पूछा तो उन्हों ने बताया के हमें तीन दिन हो गये अपनी फसल को मंडी में लेकर आये हुए अभी तक फसल की खिरिड नही हुई है और नहीं जहा को पानी आदि का पर्बंध है नहीं आवारा जानवरों के रोकथाम के लिए कोई पर्बंध है ...
 रूप सिंह किसान भंग्जडी और किसान बाल्टर सिंह तामकोट  मुश्किलें भी बतायीं। 
जब इस बारे में मार्किट कमेटी के सेकटरी से पूछा तो उन्हों ने बताया के हमने आवारा जानवरों को मंडी से बहर करने के लिए चार आदमियो को तैनात कर दिया है इस से किसानो की फसल का नुकसान नि होगा ......और किसानो के पिने वाले पानी का भी पर्बंध किया गिया है ..
सचिव गुरचरन सिंह ने अपने प्रबंधों के  बताया। 

Thursday 3 September 2015

इस बार महिला शक्ति सागर उमड़ के आया हड़ताल में

ट्रेड यूनियन संगठनों ने किया देश भर में सफल हड़ताल का दावा
लुधियाना: 2 सितम्बर 2015: (रेक्टर कथूरिया//जन मीडिया मंच): 
सत्ताधारी भारतीय पार्टी से सबंधित ट्रेड यूनियन भारतीय मज़दूर संगठन के अलग हो जाने के बावजूद  संयुक्त हड़ताल पूरी तरह कामयाब रही।  पंजाब में बाद दोपहर दो बजे तक कारोबार भी ठप्प रहे और आवाजायी भी। शहर के अलग अलग भागों से मज़दूर मार्च करते हुए आये और शहर के केंद्रीय स्थान बस  स्टैंड  हुए। महिलाओं की संख्या  बड़ी थी। यूँ लगता था जैसे महिलाओं  संसार वहां बस गया हो। इनमें हर उम्र की  महिलाएं थीं। महिला शक्ति के जोश का सागर सा लहरा रहा था। आज के मुख्य सम्मेलन का संदेश था कि  सरकार लोगों के गुस्से से सबक सीखे।  
इस मुख्य आयोजन की अध्यक्षता एटक के कामरेड ओम प्रकाश मेहता, सीटू के कामरेड जगदीश चंद, इंटक के कामरेड स्वर्ण सिंह और सी टी यूं के कामरेड परमजीत सिंह ने संयुक्त रूप से की। 
वक्ताओं ने क़र्ज़ के कारण बढ़ रही आत्म हत्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए  देश की बिगड़ी हुयी हालत की चर्चा की। पैसे  असंतुलन की चर्चा करते हुए कि 100 परिवारों के पास 22 लाख है जबकि देश की 70 फीसदी जनता हर रोज़ केवल 16 रूपये 60 पैसे पर गुज़ारा  है। देश की 30 फीसदी जनता रोटी से भी आतुर है। देश की बहुत बड़ी जन संख्या भूखी मर रही है। ऐ रैली में शर्म कानूनों की भी आलोचना की गयी। 
इस विशाल रैली में उद्द्योगिक मज़दूर, होज़री वर्क्स,रोडवेज कर्मचारी, बिजली मुलाज़िम, बीएसएनएल कर्मी, आशा वर्कर्ज, पी एस एस एफ, नगर निगम मुलाज़िम और असंगठित वर्गों जे कर्मी भी शामिल हुए। इस विशाल रैली को कामरेड  प्रसाद दुबे, बलराम, रमिंद्र सिंह, दलजीत साही, देवराज, सुदेश्वर,समर बहादुर, सुबेग सिंह, मंजीत सिंह, गुरनाम गिल, गुलज़ार गोरिया, विजय कुमार, जेवल कृष्ण, मास्टर फ़िरोज़, लड्डू शाह, कामेश्वर यादव, रमेश रतन,  रोडवेज, गुरबख्श राय,   सिंह सरहली,   ,गुरदीप सिंह कलसी और कई अन्यों  सम्बोधन किया।      

Friday 28 August 2015

दरिंदगी का शिकार हुई दामिनी को समर्पित कविता//गगनदीप गुप्ता

क्योंकि एक बस चार दरिंदे लिये, शान से चलती गयी
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दिल्ली की वह दरिंदगी भरी वहशियाना वारदात याद आते ही आज भी आम जनमानस के दिलो-दिमाग में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। सियासत की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं।  कानून के हाथ नियमों से बंधे हो सकते हैं और पुलिस व प्रशासन की अपनी बेबसी हो सकती है। लगता है उसे भुलाया जा रहा है। जानबूझ कर हालात से आँखें मूंदी जा रही हैं।  अगर सबक सीखने वाली करवाई हुई होती तो उसकी मौत के बाद भी यह एह्र्मनाक सिलसिला जारी नहीं रहता। उसके आखिरी दिनों की कल्पना भी बहुत पीड़ा दायिक है।  उस दर्द को महसूस करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं-गगनदीप गुप्ता ने। उन पंक्तियों को हम यहाँ ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं। आपको यह रचना कैसी लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार बानी रहेगी। 
आज फिर मेरी कलम चलने को तैयार हो गयी,
लगा उसकी आत्मा वहशीपन का शिकार हो गयी,
मानवता को डस लिया मानवता ने ऐसे,
खून की नलियाँ जैसे ज़हरीला बहाव हो गयीं।

इक मासूम, इक लड़की, तन्हा-ओ-बेबस,
बस इसलिये कर दी गयी,
क्योंकि एक बस चार दरिंदे लिये,
शान से चलती गयी।

न कहूँगा उन्हें जानवर,
कि जानवर तो जान वार देते हैं,
वो चार हैं वही वहशी दरिंदे,
जिन्हें हम समाज में पनाह देते हैं।

बहादुर करार दिया उस मासूम को,
कि वो अब तक मरी नहीं, जली नहीं,
ज़िंदा भी है अब तलक जो,
कि साँसें अभी रुकी नहीं।

इशारों में पुछती है माँ-बाप से,
क्या मिलेगा इंसाफ़ इस दर्द का?
क्या होगा ईलाज इस मर्ज़ का?
कि जागेगी आवाम इस पाप से।

कोख से जन्मे मेरी जो,
मेरा ही दामन दाग़दार कर दिया,
चंद हवस के पुतलों ने,
हर माँ को शर्मसार कर दिया।

सज़ा हो फाँसी या फिर,
नपुंसक हर उस शख़्स को बनाने की,
ज़रुरत है तो बस आज,
और मासूमों की लाज बचाने की।

क्यों न 'गगन' हो कुछ ऐसा कानून,
कि सहर जायें कब्रों के मुर्दे भी,
हर आरोपी का हश्र हो ऐसा,
निकाल दो आँखें, दिल और गुर्दे भी।

एक इल्तज़ाः
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वो जो एक मासूम जान,
लेटी मरणशया पर कराह रही है,
मेरी कलम क्या लिखे और,
सोचकर ही उसकी जान जा रही है।

दुआ है बस दोस्तो!
कर सको तो करो उसके लिये,
वरना तो जीना भी है मुश्किल,
इस जहाँ में खुदा के लिये।
रिंदगी का शिकार हुई दामिनी को समर्पित कविता//गगनदीप गुप्ता 


Tuesday 14 April 2015

आंबेडकर:धारा 370 को मंजूरी देकर मैं अपने देश से गद्दारी नहीं कर सकता

फेसबुक मीडिया ने टटोले इतिहास के पन्ने
 फेसबुक मीडिया Posted on Tuesday, 14 April 2015 at 12:50  
जब नेहरु ने कश्मीर के प्रमुख नेता शेख अब्दुल्ला को कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की जगह एक विशेष राज्य या एक अलग देश की तरह से मान्यता प्रदान करते हुए विवादित धारा 370 को भारत के संविधान में डलवाने के लिए डॉक्टर अम्बेडकर के पास भेजा तो आंबेडकर ने उस समय जो कहा था वो आज भी पढने योग्य और आँखें खोल देने वाला है
अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला के मूंह पर कहा था -
'' तो आप चाहते हैं की कश्मीर को सारी सहायता हिन्दुस्तान दे , हर साल करोड़ों रुपैया हिंदुस्तान भेजे , सारे विकास कार्य अपने खर्चे पर हिन्दुस्तान उठाये, कोई भी हमला होने पर इसकी रक्षा हिन्दुस्तान करे और सारे भारत में कश्मीरियों को बराबरी के अधिकार मिलें लेकिन उसी भारत और भारतीयों को कश्मीर में बराबरी का कोई अधिकार ना हो ??
मैं भारत का कानून मंत्री हूँ और इस भारत-विरोधी धारा 370 को मंजूरी देकर कम से कम मैं तो अपने देश से गद्दारी नहीं कर सकता हूँ
नेहरु जी से जाकर कहियेगा की एक देशद्रोही ही इस धारा को भारत के संविधान में डालने की मंजूरी दे सकता है और मैं वो देशद्रोही नहीं हूँ ''
और ये कहकर उन्होनें शेख अब्दुल्ला को अपने ऑफिस से निकाल दिया , आग-बबूला शेख अब्दुल्ला नेहरु के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई
तब नेहरु ने अलोकतांत्रिक तरीके से गोपालस्वामी अयंगर से इस भारत-विरोधी धारा 370 को भारत के संविधान में डलवाया जिसका खामियाजा हमारा भारत देश आजतक भुगत रहा है पाकिस्तान परस्त और गद्दार कश्मीरियों की चोरी और सीनाजोरी के रूप में