हमलावरों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग ने ज़ोर पकड़ा
इंदौर: 4 अक्टूबर 2016: (प्रदीप शर्मा और जन मीडिया मंच ब्यूरो):
साम्प्रदायिक शक्तिया फिर अपने आकाओं की सेवा में सक्रिय है। जन मुद्दों की तरफ ध्यान लेजाने वाला या इन आवाज़ उठाने वाला इनका दुश्मन है। इप्टा के राष्ट्रीय अधिवेशन पर किया गया हमला यही बताता है कि यह लोग अभी भी किसी सफदर हाश्मी की जान लेने की ताक में हैं।
गौरतलब है कि भारतीय जन नाट्य संगठन (इप्टा) के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन में मंगलवार को उस वक्त विवाद की स्थिति बन गई, जब भारत स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ता तिरंगा लेकर विरोध करने पहुंचे। कार्यकर्ता चलते समारोह में मंच पर चढ़ गए और माइक छीनकर नारेबाजी की। इनको ज़रा भी शर्म नहीं आई कि जिनके खिलाफ वे तिरंगे को एक साज़िशी हथियार की तर्ज इस्तेमाल कर रहे हैं उस उन लोगों ने केवल तिरंगे के लिए ही नहीं देश के सभी वर्गों की खुशहाली के लिए अपनी ज़िंदगियाँ लगाई हैं। ये लोग अपनी गुंडागर्दी से नहीं हटे तो जवाब में इप्टा के कार्यकर्ताओं ने विरोध करने आए इन हमलावरों को धक्के मारकर बाहर निकाला। एक हमलावर की पिटाई का भी दावा किया गया है। इस पिटाई के बाद हमलावर भाग खड़े हुए। पता चला है कि हमलावरों की संख्या 50-60 थी और ये लोग कलाकारों के वेश में वहां पहुंचे जिस कारण इन लोगों पर एकदम शक नहीं गया। इप्टा हमले का समय करीब पौने चार बजे बताया है।
मिली सूचना के मुताबिक दोपहर बाद भारत स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए आनंद मोहन माथुर सभागृह पहुंचे। हॉल में बैठे दर्शकों को लगा कि यह नाटक का ही एक हिस्सा है, लेकिन कुछ ही देर बाद मंच पर पहुंचकर वे हंगामा करने लगे तो पता चला कि यह विरोध प्रदर्शन है। माइक छीनकर एक युवक ने सभी को भारत माता की जय बोलने को कहा। उसका कहना था आप लोग देशद्रोही कन्हैया के साथी हो। इधर, मंच के नीचे बैठे लोगों ने 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाना शुरू कर दिया। मंच पर बैठे कुछ वक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया तो इप्टा कार्यकर्ता भी भड़क गए। इस दौरान धक्का-मुक्की हुई। मंच से उतरते ही हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने कुर्सियों पर बैठे युवकों से मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच लात-घूसे चले। नाटक में नाटक करते हुए हमला सफल बनाने की साज़िश बुरी तरह से नाकाम हो गयी। पता नहीं चल सका कि अभी ये लोग किस कलाकार को सफदर हाश्मी की तरह अपना निशाना बनाने आए थे।
खबर आग की तरह सारे देश में फ़ैल गयी। लुधियाना "इप्टा" की तरफ से डॉक्टर अरुण मित्रा, डॉक्टर गुलज़ार पंधेर और एम एस भाटिया ने शाम को प्रेस बयान जारी करके इस की। कई भी इसे गुंडागर्दी बताते हुए इसकी निंदा की। परिसर से निकलने के बाद हमलावरों ने पथराव भी किया, जिसमें एक युवक घायल हो गया। इसी दौरान सड़क पर इप्टा का एक कार्यकर्ता दिखा तो उसकी पिटाई कर दी। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस पहुंची, तब तक मामला शांत हो चुका था। आयोजन खत्म होने तक सभागृह के बाहर पुलिस बल मौजूद रहा। रविवार को इप्टा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एमएस सथ्यु ने सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर टिप्पणी की थी। इससे हिंदूवादी संगठनों में नाराजगी है। शाम के पांच बजे के बाद कार्यक्रम दोबारा शुरू हो सका। कंवलजीत खन्ना, एडवोकेट एन के जीत, निगम वर्करों के नेता विजय कुमार ने भी इस हमले की सख्त निंदा की है। कला के क्षेत्र में विरोध जताने का यह संघी स्टाईल अन्य जन संगठनों को भी आत्म रक्षा के लिए हथियार उठाने को मजबूर कर सकता है। अब देखना है कि हमलावरों के खिलाफ केस दर्ज होता है।
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