Monday 8 January 2018

जन मीडिया मंच ने भी की रचना खैरा पर FIR की सख्त निंदा

इस FIR से सिस्टम के नापाक इरादे फिर बेनकाब हुए हैं 
लुधियाना: 7 जनवरी 2017: (जन मीडिया मंच)::
टविटर पर रचना खैरा का टवीट 
खोखला और जन विरोधी सिस्टम बेनक़ाब होता जा रहा है और सिस्टम को चलाने वाले बेशर्म तानाशाह  बनते जा रहे हैं। द ट्रिब्यून की पत्रकार रचना खेहरा के खिलाफ FIR ने एक बार फिर यही साबित किया है। "जन मीडिया मंच" इस FIR की सख्त निंदा करता है और इसके खिलाफ संघर्ष में एकजुट हुए संगठनों के साथ है। गौरतलब है कि UIDAI के डिप्टी डायरेक्टर ने ट्रिब्यून और उसकी रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। रचना का कसूर बस इतना ही कि उसने अपनी एक रिपोर्ट में इस जन विरोधी और भ्रष्ट सिस्टम को बेनकाब किया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक गिरोह लोगों के आधार से जुड़ी हर निजी जानकारी मात्र 500/- रुपए में लोगों को मुहैया करवाता है। आधार और इसकी गोपनीयता पर दमगजे मारने वाले सिस्टम को हकीकत का इस तरह बाहर आना गवारा नहीं हुआ। लोगों की निजी ज़िंदगी के व्यक्तिगत स्टाईल को  तमाशा बना देने वाला यह सिस्टम अब पत्रकार रचना खैरा को कहर भरी नज़रों से देख रहा है। 

एक प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक के मुताबिक इस FIR में अनिल कुमार, सुनील कुमार और राज का नाम भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि खैरा ने ट्रिब्यून के लिए रिपोर्ट तैयार करते हुए इन्हीं लोगों से संपर्क किया था। 
इसी बीच क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने एक ऍंग्रेज़ी दैनिक को बताया कि इस मामले में FIR दर्ज कर ली गई है और शुरुआती जांच भी शुरू हो गई है। यह FIR क्राइम ब्रांच की साइबर सेल द्धारा IPC की धारा 419, 420, 468 और 471 साथ ही IT एक्ट की धारा 66 और आधार एक्ट की धारा 36/37 के अंतर्गत FIR दर्ज की गई है। बड़े बड़े मामलों में कई कई वर्षों तक हरकत में न आने वाला सिस्टम इस मुद्दे पर बहुत तेज़ी से हरकत मैं आया है। यह पोल खुलने की बौखलाहट ही कही जा सकती है।मौजूदा सिस्टम को हिला देने वाली इस रिपोर्ट ने इस सिस्टम का बहुत कुछ बेनकाब जो कर दिया है। 
गौरतलब है कि इससे पहले UIDAI ने इस प्रकार की किसी भी जानकारी के लीक होने की खबरों को खारिज किया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब यह चौथी बार है जब UIDAI ने इस प्रकार की कार्रवाई की है। सबसे पहले समीर कोचर, देबयान रॉय (सीएनएन-न्यूज़18) और सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी पर भी UIDAI FIR करवा चुका है। जन मीडिया से जुडी हर बात इस सिस्टम को नागवार लगती है। 


आखिर ट्रिब्यून का कसूर क्या है? क्या किया है रचना खैरा ने? क्या था ट्रिब्यून की इस खबर में? कुछ संक्षिप्त सी चर्चा करते हैं इस रिपोर्ट की। द ट्रिब्यून की खबर में कहा गया था कि अगर आपको आधार डेटा चाहिए तो बस पेटीएम के माध्यम से 500/- रुपए देना होगा और 10 मिनट के अंदर आपको सारी जानकारी मिल जाएगी। इस खोजपूर्ण खबर के मुताबिक, एक ऐसा रैकेट है जो कि गेटवे नाम के माध्यम से आपको लॉग इन और पासवर्ड देग। इसके बाद आप किसी का भी आधार नंबर उसमें डालिए आपको उस नंबर पर उपलब्ध सारी जानकारियां मिल जाएगी। पिन कोड से लेकर मोबाइल नंबर और आपकी मेल आईडी तक। इसके बदले में आपको इसकी कीमत चुकानी होगी सिर्फ 500 रुपए।  इस तरह 500/- रुपयों के एक नॉट के बदले में कितने लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराई जा चुकी होगी इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। देश की सुरक्षा से जुड़े लोगों की जानकारी में कितने लोग सेंध लगा चुके होंगें इसका अनुमान भी कठिन होगा। 
रिपोर्ट बताते है कि यह रैकेट इतना संगठित तरीके से काम करता है कि आपको ये सिर्फ जानकारी ही नहीं देंगे बल्कि अगर आप किसी का भी आधार प्रिंट कराकर रखना चाहते हैं तो उसकी भी व्यवस्था कर रखी है इन लोगों ने। इस मकसद के लिए आपको 300/- और रुपए देने होंगे जिससे इस रैकेट के लोग आपको एक ऐसा सॉफ्टवेयर मुहैया कराएंगे जिसके जरिए आप आधार का प्रिंट भी निकाल सकते हैं। इन बातों से ये तो साफ हो गया होगा कि आपका आधार कितना सुरक्षित है।  डिजिटल इण्डिया और जो ग्रीन के बहाने से तरह तरह के तजुर्बे करने वाला यह सिस्टम किस तरह आपकी ज़िंदगी में तांकझांक करके खलल दाल सकता है शायद अभी इसका अनुमान न लगाया जा सके। 

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