Thursday, 7 November 2024

विदेशी कोल्ड ड्रिंक और फार्मा कंपनियों का पर्दाफाश

Writeup By Dr. Archita Mahajan//Thursday 7th November 2024 at 16:46//WhatsApp//Cold Drinks//Pharma Companies

 कंपनियों की संयुक्त लूट को लेकर डॉ अर्चिता महाजन  ने किए  सनसनीखेज़ खुलासे 

*पहले कोल्ड ड्रिंक मीठे का नशा लगाती है 

*फिर विदेशी फार्मा कंपनी शुगर, दिल और कोलेस्ट्रॉल की दवाइयां बेचती है

*कोल्ड ड्रिंक कंपनी फार्मा कंपनी सब प्रॉफिट में है लेकिन देश के बच्चों की सेहत घाटे में जा रही है 

*2 लीटर कोक में लगभग एक पाव चीनी होती है जबकि 30 ग्राम से ज़्यादा चीनी नहीं खानी चाहिए 


बटाला (गुरदासपुर): (*डा. अर्चिता महाजन//जन मीडिया मंच डेस्क)::

जनता के स्वास्थ्य और ज़िन्दगी के साथ हो रहे खिलवाड़ का पर्दाफाश करने में जुटी हुई डाक्टर अर्चिता महाजन ने अब कोल्ड ड्रिंक्स और फार्मा कंपनियों पर भी कुछ नए खुलासे किए हैं।  इस बार उनके निशाने पर हैं कोल्ड ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियां और फार्मा कंपनियां जो दवाएं बनाने और बेचने का कारोबार करती हैं। वह बताती हैं कि किस तरह पहले तो जानबूझ कर बीमारियां पैदा की जाती हैं और फिर किस तरह उन्हें ठीक करने के नाम पर दवाएं बेची जाती हैं।  

इस बार डाक्टर अर्चिता महाजन ने बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहती हैं कि हम अक्सर घर में कोल्ड ड्रिंक की बोतल 2 लीटर वाली ले आते हैं और फिर सारा दिन धीरे-धीरे पीते रहते हैं। मैंने तो कहीं छोटे-छोटे बच्चों को भी देखा है जो भूख लगने पर एक चिप्स का पैकेट और एक 300 मल की बोतल दिन में तीन चार बार खा पी लेते हैं और माता-पिता भी पीछा छुड़ाने की खातिर उनको कुछ रुपए दे देते हैं जिससे वह सारा दिन चिप्स और कोक पीते रहते हैं।अब उन बच्चों के शरीर में क्या जा रहा ज़रा इसका अनुमान तो लगाएं। 

बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद भूख लगती रहती है और यह एक कुदरत का नियम है। माता-पिता को चाहिए कि उनकी इस भूख के लिए घर में ही कुछ रेसिपी तैयार करके दे ताकि वह बड़े होकर बीमारियों का शिकार ना बने। यदि आपका बच्चा सारे दिन में 2 लीटर की बोतल कोल्ड ड्रिंक की पी लेता है तो इसका मतलब यह हुआ कि वह एक दिन में ही एक पाव चीनी खा लेते हैं।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार पुरुषों को प्रतिदिन 9 चम्मच (36 ग्राम) से ज्यादा एडेड शुगर नहीं खानी चाहिए और महिलाओं को प्रतिदिन 6 चम्मच (25 ग्राम) से अधिक एडेड शुगर नहीं खानी चाहिए. शुगर कई तरह की होती है और अलग-अलग फूड्स से मिलती है। यह एक अलग विषय है जिसकी चर्चा किसी  अलग पोस्ट में की जाएगी।  

कोल्ड ड्रिंक पीने में जितना मज़ा आता है इसका नुकसान उससे कहीं ज्यादा होता है जिससे सारी ज़िंदगी बेमज़ा होकर रह जारी है। दरअसल, कोल्ड ड्रिंक के सेवन से आपको फैटी लीवर की समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोल्ड ड्रिंक में दो तरह की शुगर पाई जाती है। ग्लूकोज और फ्रुक्टोज। ग्लूकोस बॉडी में तुरंत अब्सॉर्ब  और मेटाबोलाइज़ हो जाता है जबकि, फ्रुक्टोज केवल लिवर में जमा हो जाता है। 

ऐसे में आप अगर हर दिन कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं तो फ्रुक्टोज आप के लिवर में अतिरिक्त मात्रा में जमा हो जाएगा और लिवर से जुड़ी समस्याएं पैदा होंगी। लंबे समय तक ज़्यादा चीनी का सेवन करने से हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ सकता है क्योंकि इससे ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ता है। 

इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन की एक रिसर्च में पाया गया है कि भारत में लोगों को चीनी की लत है जो खतरनाक स्तर पर है. भारत में खान-पीने की चीजों में चीनी का इस्तेमाल रिकॉर्ड स्तर पर किया जाता है जो बहुत खतरनाक है। 

भारत में हर साल होने वाली 80 प्रतिशत मौतों की वजह डायबिटीज, कैंसर और हार्ट की बीमारियां है। इन बिमारियों को करके लोगों से ज़िन्दगी छीन लेने वालों को सज़ा कौन देगा? गौरतलब है कि ये रोग कहीं न कहीं चीनी से जुड़े हैं। इस प्रकार भारत के लोगों को दोहरी मार पड़ रही है एक तो वह कोल्ड ड्रिंक वाली कंपनी हमारे देश से करोड़ों का प्रॉफिट कमा कर बाहर ले जाती है। इस लूट के बाद में दवाइयां वाली कंपनियां अपनी अलग-अलग दवाई लेकर कई गुना महंगे दामों में बेचती हैं। 

देखिए किस तरह हमारे स्वास्थ्य को भी लूटा जा रहा है और धन को भी? सेहत और  ज़िन्दगी के खिलाफ इस साज़िशी खिलवाड़  को आखिर कौन और कब रोकेगा? आप भी ज़रूर सोचिए। 

*डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित हैं। वह अक्सर  के  खिलवाड़  कंपनियों को अपनी आलोचना के निशाने पर रखती हैं।इस बार भी  खुलासे किए हैं। आपको कैसे लगे -अवश्य बताएं। आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।  

Sunday, 26 May 2024

चुनावी मौसम में भी नहीं दूर हो रही पंजाब में पानी की कमी

 लोगों के पलायन का भी खतरा-गिर सकते हैं ज़मीन जायदादों के भाव 

टैंकरों पर निर्भरता तेज़ी से बढ़ रही है खरड़ में भी 

कब लगेंगे आवश्यकता मुताबिक ट्यूबवेल?

काब आने लगेगा हर घर के नल में पहले की तरह पूरे फ्लो से  पानी? 

कब कितनी देर बाद मिला करेगा रिक्वेस्ट करते ही पानी?

टैंकर के पानी की सुरक्षा और गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी किसकी है?

पानी की किल्लत ने याद दिला दी हैं रेगिस्तानी जनजीवन पर बनी कई फ़िल्में!

पानी की इस डिमांड और सप्लाई के चक्क्र में उलझ कर रह गए हैं लोग!


खरड़
: 25 मई 2024 : (जन मीडिया मंच डेस्क)::

चुनावी प्रचार ज़ोरों पर है। विकास के दावे भी ज़ोरों पर हैं और सुनहरी भविष्य के दिल-फ़रेब वायदे भी एक बार फिर से ज़ोरों पर हैं। हालांकि तकरीबन सभी लोग जानते हैं कि मतदान के बाद न तो बाहर से आए नेता लोग कभी नज़र आएंगे और न ही चुनावी माहौल के यह दृश्य रहेंगे। गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ने वाले इस मौजूदा दौर में भी पानी की किल्लत का कोई समाधान होता नज़र नहीं आता।  चुनावी सीज़न निकल जाने के बाद फिर से यह वायदे कहीं न कहीं अदृश्य हो कर खो जाएंगे। पानी की किल्लत जैसी समस्याएं भी बढ़ जाएंगी और महंगाई फिर से आसमान छूने लगेगी। अब जब कि चुनावी माहौल में जनता खुद को किंग मेकर समझने लगती है तब भी उसका दर्द कोई नहीं सुनता। 

पंजाब के कई हिस्सों में भी, खासकर खरड़ और मोहाली जैसे शहरी इलाकों में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस समस्या से निपटने के लिए, स्थानीय प्रशासन और निजी कंपनियों द्वारा पानी के टैंकरों की व्यवस्था की जाती है जो हर रोज गली-गली में जाकर पानी की आपूर्ति करते हैं। खरड मोहाली के मोहल्लों  में आते हैं हर रोज़ पानी के टैंकर जो सभी तक नहीं पहुंचते ही नहीं। रसूख और पैसे वाले ही ले जाते हैं फ्री वाले टैंकर भी अपने घरों के लिए। इस मामले को न पार्षद के कार्यालय में गंभीरता से लिया जा रहा है न ही प्रशासन की तरफ से। इन त्योहारी महीनों में जब लोग छबीलों के आयोजन करते हैं उस दौर में भी लोगों को स्वयं के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। टैंकरों का पानी पीने लायक होता है या नहीं इस पर प्रशासन की ज़िम्मेदारी भरी सलाह नहीं है।

भूजल स्तर में गिरावट:इसका एक प्रमुख कारण भी है। पानी कहां गया इस पर कभी कभार सियासी किस्म की बहस होती है और आरोप पानी के बटवारे पर आ कर समापत हो जाता है। कभी हरियाणा को पानी का दुश्मन बताया जाता है और कभी राजस्थान और दिल्ली को। इन्हीं आरोपों प्रत्यारोपों के चलते यह बात हर बार नज़रअंदाज़ हो जाती है कि कृषि के चलते भी पंजाब की धरती में पानी का स्तर बेहद नीचे जा चुका है। भूजल का अत्यधिक दोहन और पर्याप्त पुनर्भरण न होने के कारण भूजल स्तर लगातार घट रहा है।

इसके साथ ही मानसून की अनिश्चितता भी एक विशेष पहलु है। समय पर और पर्याप्त मात्रा में बारिश न होने से पानी के स्रोतों में कमी हो जाती है। बाढ़ और अत्यधिक बारिशों के दिनों में पानी की हार्वेस्टिंग करने के कोई ठोस प्रबंध नहीं है। ऊपर से जनसंख्या वृद्धि इसे और भी गंभीर कर रही है। शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का तेजी से बढ़ना भी पानी की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन पैदा करता है।

इन सभी के चलते बदइंतज़ामी भरा जल प्रबंधन इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है। जल संरक्षण और प्रबंधन की योजनाओं की कमी भी पानी की कमी का एक बड़ा कारण है। टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है और बाकायदा एक कारोबार का रूप ले रहा है। मुनाफाखोरी बढ़ रही है। ऐसे में जल है तो कल है का सरकारी समाजिक नारा बस दीवारों  की शोभा बन कर रह गया है। गली-गली में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति एक अस्थायी समाधान है, लेकिन इसके कारण निम्नलिखित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं:

जहां जहां टैंकरों से पानी का वितरण होता है वहां असर रसूख वाले और अमीर लोग इसे अपने घरों में ले जाते हैं। सभी इलाकों के सभी घरों में समान रूप से पानी नहीं पहुंच पाता। जहाँ इसे खरीदने की बात है वहां यह एक महंगा विकल्प है। टैंकर से नियमित पानी खरीदना भविष्य में और भी महंगा हो सकता है, जो निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए गहन समस्या है। टैंकरों के पानी की गुणवत्ता शक के दायरे में है। पानी की गुणवता अर्थात कवालटी  की समस्या भी बनी ही रहती है। गौरतलब है कि टैंकरों से आने वाला पानी हमेशा सुरक्षित और पीने योग्य नहीं होता। इस आशय का सबदेश टैंकर पर कई बार होता भी है लेकिंस्वाल है कि पानी का पानी कहां से लाया जाए?

टैंकरों से पानी की जो सप्लाई होती है वह पानी कहां से आता है? यही सप्लाई सीधे सरकारी सिस्टम से लोगों के घरों में क्यूं नहीं हो सकती? अगर टैंकरों के लिए पानी उपलब्ध है तो घरों में सीधी सप्लाई के लिए क्यूं नहीं? 

कई बार तो कई कई दिनों तक पूरी नहीं होती टैंकर भेजने की रेकवेस्ट टैंकर भेजने। पार्षद का कहना-ड्राइवर से सेटिंग कर लो। ड्राइवर का कहना पार्षद से कहला दो। इस कलोलबाज़ी में पिस रहे हैं लोग।  पानी बेचने का कारोबार कर रहा है तरक्कियां। कौन है गर्मी में लोगों को पानी के बिना मरने का ज़िम्मेदार? 

 नगर पालिका वालों का कहना है कि बिजली का संकट इस समस्या को हल नहीं होने देता। गौरतलब है कि जहाँ से टैंकर भरे जाते हैं वहां भी बिजली की ज़रूरत होती है और जब इन टैंकरों के ज़रिए घरों की छतों पर बानी टैंकियों तक पानी पहुंचाया जाता है वहां भी बिजली की यरुर्त पढ़ती  लिए  ज़रूरी पड़ती है।पीने वाली बोतलों के ज़रिए  सप्लाई होते पानी का अलग सा बहुत बड़ा कारोबार खड़ा हो चुका है। निशुल्क बिजली और निशुल्क आते दाल के वायदे और दावे करने वाले कभी नहीं बताते कि ज़िन्दगी के लिए सबसे ज़रूरी पानी कहां से और कौन ला कर देगा?