Sunday, 26 May 2024

चुनावी मौसम में भी नहीं दूर हो रही पंजाब में पानी की कमी

 लोगों के पलायन का भी खतरा-गिर सकते हैं ज़मीन जायदादों के भाव 

टैंकरों पर निर्भरता तेज़ी से बढ़ रही है खरड़ में भी 

कब लगेंगे आवश्यकता मुताबिक ट्यूबवेल?

काब आने लगेगा हर घर के नल में पहले की तरह पूरे फ्लो से  पानी? 

कब कितनी देर बाद मिला करेगा रिक्वेस्ट करते ही पानी?

टैंकर के पानी की सुरक्षा और गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी किसकी है?

पानी की किल्लत ने याद दिला दी हैं रेगिस्तानी जनजीवन पर बनी कई फ़िल्में!

पानी की इस डिमांड और सप्लाई के चक्क्र में उलझ कर रह गए हैं लोग!


खरड़
: 25 मई 2024 : (जन मीडिया मंच डेस्क)::

चुनावी प्रचार ज़ोरों पर है। विकास के दावे भी ज़ोरों पर हैं और सुनहरी भविष्य के दिल-फ़रेब वायदे भी एक बार फिर से ज़ोरों पर हैं। हालांकि तकरीबन सभी लोग जानते हैं कि मतदान के बाद न तो बाहर से आए नेता लोग कभी नज़र आएंगे और न ही चुनावी माहौल के यह दृश्य रहेंगे। गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ने वाले इस मौजूदा दौर में भी पानी की किल्लत का कोई समाधान होता नज़र नहीं आता।  चुनावी सीज़न निकल जाने के बाद फिर से यह वायदे कहीं न कहीं अदृश्य हो कर खो जाएंगे। पानी की किल्लत जैसी समस्याएं भी बढ़ जाएंगी और महंगाई फिर से आसमान छूने लगेगी। अब जब कि चुनावी माहौल में जनता खुद को किंग मेकर समझने लगती है तब भी उसका दर्द कोई नहीं सुनता। 

पंजाब के कई हिस्सों में भी, खासकर खरड़ और मोहाली जैसे शहरी इलाकों में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस समस्या से निपटने के लिए, स्थानीय प्रशासन और निजी कंपनियों द्वारा पानी के टैंकरों की व्यवस्था की जाती है जो हर रोज गली-गली में जाकर पानी की आपूर्ति करते हैं। खरड मोहाली के मोहल्लों  में आते हैं हर रोज़ पानी के टैंकर जो सभी तक नहीं पहुंचते ही नहीं। रसूख और पैसे वाले ही ले जाते हैं फ्री वाले टैंकर भी अपने घरों के लिए। इस मामले को न पार्षद के कार्यालय में गंभीरता से लिया जा रहा है न ही प्रशासन की तरफ से। इन त्योहारी महीनों में जब लोग छबीलों के आयोजन करते हैं उस दौर में भी लोगों को स्वयं के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। टैंकरों का पानी पीने लायक होता है या नहीं इस पर प्रशासन की ज़िम्मेदारी भरी सलाह नहीं है।

भूजल स्तर में गिरावट:इसका एक प्रमुख कारण भी है। पानी कहां गया इस पर कभी कभार सियासी किस्म की बहस होती है और आरोप पानी के बटवारे पर आ कर समापत हो जाता है। कभी हरियाणा को पानी का दुश्मन बताया जाता है और कभी राजस्थान और दिल्ली को। इन्हीं आरोपों प्रत्यारोपों के चलते यह बात हर बार नज़रअंदाज़ हो जाती है कि कृषि के चलते भी पंजाब की धरती में पानी का स्तर बेहद नीचे जा चुका है। भूजल का अत्यधिक दोहन और पर्याप्त पुनर्भरण न होने के कारण भूजल स्तर लगातार घट रहा है।

इसके साथ ही मानसून की अनिश्चितता भी एक विशेष पहलु है। समय पर और पर्याप्त मात्रा में बारिश न होने से पानी के स्रोतों में कमी हो जाती है। बाढ़ और अत्यधिक बारिशों के दिनों में पानी की हार्वेस्टिंग करने के कोई ठोस प्रबंध नहीं है। ऊपर से जनसंख्या वृद्धि इसे और भी गंभीर कर रही है। शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का तेजी से बढ़ना भी पानी की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन पैदा करता है।

इन सभी के चलते बदइंतज़ामी भरा जल प्रबंधन इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है। जल संरक्षण और प्रबंधन की योजनाओं की कमी भी पानी की कमी का एक बड़ा कारण है। टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है और बाकायदा एक कारोबार का रूप ले रहा है। मुनाफाखोरी बढ़ रही है। ऐसे में जल है तो कल है का सरकारी समाजिक नारा बस दीवारों  की शोभा बन कर रह गया है। गली-गली में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति एक अस्थायी समाधान है, लेकिन इसके कारण निम्नलिखित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं:

जहां जहां टैंकरों से पानी का वितरण होता है वहां असर रसूख वाले और अमीर लोग इसे अपने घरों में ले जाते हैं। सभी इलाकों के सभी घरों में समान रूप से पानी नहीं पहुंच पाता। जहाँ इसे खरीदने की बात है वहां यह एक महंगा विकल्प है। टैंकर से नियमित पानी खरीदना भविष्य में और भी महंगा हो सकता है, जो निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए गहन समस्या है। टैंकरों के पानी की गुणवत्ता शक के दायरे में है। पानी की गुणवता अर्थात कवालटी  की समस्या भी बनी ही रहती है। गौरतलब है कि टैंकरों से आने वाला पानी हमेशा सुरक्षित और पीने योग्य नहीं होता। इस आशय का सबदेश टैंकर पर कई बार होता भी है लेकिंस्वाल है कि पानी का पानी कहां से लाया जाए?

टैंकरों से पानी की जो सप्लाई होती है वह पानी कहां से आता है? यही सप्लाई सीधे सरकारी सिस्टम से लोगों के घरों में क्यूं नहीं हो सकती? अगर टैंकरों के लिए पानी उपलब्ध है तो घरों में सीधी सप्लाई के लिए क्यूं नहीं? 

कई बार तो कई कई दिनों तक पूरी नहीं होती टैंकर भेजने की रेकवेस्ट टैंकर भेजने। पार्षद का कहना-ड्राइवर से सेटिंग कर लो। ड्राइवर का कहना पार्षद से कहला दो। इस कलोलबाज़ी में पिस रहे हैं लोग।  पानी बेचने का कारोबार कर रहा है तरक्कियां। कौन है गर्मी में लोगों को पानी के बिना मरने का ज़िम्मेदार? 

 नगर पालिका वालों का कहना है कि बिजली का संकट इस समस्या को हल नहीं होने देता। गौरतलब है कि जहाँ से टैंकर भरे जाते हैं वहां भी बिजली की ज़रूरत होती है और जब इन टैंकरों के ज़रिए घरों की छतों पर बानी टैंकियों तक पानी पहुंचाया जाता है वहां भी बिजली की यरुर्त पढ़ती  लिए  ज़रूरी पड़ती है।पीने वाली बोतलों के ज़रिए  सप्लाई होते पानी का अलग सा बहुत बड़ा कारोबार खड़ा हो चुका है। निशुल्क बिजली और निशुल्क आते दाल के वायदे और दावे करने वाले कभी नहीं बताते कि ज़िन्दगी के लिए सबसे ज़रूरी पानी कहां से और कौन ला कर देगा? 

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